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Thursday, December 26, 2013

Name of Horses of Islamic Heroes


This article is to let the common people know, what were the names of the horses of the important personalities of Islam.

Thursday, October 24, 2013

Monday, August 26, 2013

सौगंद राम की खाते हैं, मंदिर वही बनाएगे...



सौगंद राम की खाते हैं, मंदिर वही बनाएगे...

अल्लाहो अक्बर, हम भी नमाज़ वही बजाएगे...

 


चाहे कुछ भी होजाए, कदम न पीछे हटाएगे...
 
बच्चे मरे या लाज लुटे, हम तो येही गाएँगे...
 
सौगंद राम की खाते हैं, मंदिर वही बनाएगे...
 
अल्लाहो अक्बर, हम भी नमाज़ वही बजाएगे...
 

एक सुहाग लुटा, एक मांग उजढ़ी...
 
एक बाप मरा, पर हमको क्या...
 
जो होता है हो जने दो...
 
पर हम तो येही गाएँगे...
 
सौगंद राम की खाते हैं, मंदिर वही बनाएगे...
 
अल्लाहो अक्बर, हम भी नमाज़ वही बजाएगे...
 

एक इस्मत लुटी, एक माँ बिछडी...
 
वो मेरी कबथी, वा भइ वा...
 
कौन इस पर विचार करे...
 
हम तो बस येही गाएँगे...
 
सौगंद राम की खाते हैं, मंदिर वही बनाएगे...
 
अल्लाहो अक्बर, हम भी नमाज़ वही बजाएगे...
 

मस्जिद मे मैं तो नमाज़ पढ़ू...
 
फिर तौबा उससे येही करूँ...
 
या अल्लाह मुजकों माफ करे...
 
मगर ये तो भूल न जाएगे...
 
सौगंद राम की खाते हैं, मंदिर वही बनाएगे...
 
अल्लाहो अक्बर, हम भी नमाज़ वही बजाएगे...
 

राम मेरे कष्टों को हरले...
 
जीवन मेरा उजवल करदे...
 
मंदिर मे दीप जलूँगा...
 
परंतु गाना यही गाऊँगा...
 
सौगंद राम की खाते हैं, मंदिर वही बनाएगे...
 
अल्लाहो अक्बर, हम भी नमाज़ वही बजाएगे...



(नदीम नक़्वी, दिल्ली, भारत)

Sunday, June 16, 2013

Sheri and Iftar timing 2013

This is a post provides the timetable of Sehri and Iftar for the forth coming Ramzan month in the year 2013. सहरी और इफ्तार का समय 2013, سحری اور افطار کے اوقت ٢٠١٣

Thursday, May 30, 2013

Marsiya recited by Lata Mangeshkar



It is a marsiya (lament) penned by Mir Anees. It was sung by Lata Mangashkar in the film Shankar Husain (1977) directed by Kamal Amrohi. It was the dedication of Kamal Amrohi who was the first rather the only person who made the world renowned singer to sing a marsiya.

Words (lyrics) of the Marsiay:

Hussain jab ke chaley baad'e do_pahar runn ko
Na tha koi ke jo thaamey rakaab'e tausan ko

Sakeena jhaarh rahi theen aba ke daaman ko
Hussain chupkey kharey they jhukaaey gardan ko

Na Aasra tha koi shah-e-karbalai ko
Faqat bahen ne kiya tha sawaar bhai ko
 

ये मरसिया शंकर हुसैन (1977) की फिल्म में लता मंगेशकर ने पढ़ा था। ये फिल्म कमाल अमरोही के निर्देशन मे बनी थी। ये मरसिया मीर अनीस साहब ने लिखा था।

हुसैन जबके चले बादे दोपहर रन को...
न था कोई के जो थामे रकाबे तौसन को।


सकीना झाढ़ रही थी अबा के दामन को...
हुसैन चुपके खड़े थे झुकाए गर्दन को।


न आसरा था कोई शाहे करबलाई को...
फ़क्त बहन ने किया था सवार भाई को।